उत्तराखंड के ऋषिगंगा में मरने वाले जिन लोगों की पहचान नहीं हो सकेगी, सरकार उनके डीएनए की जांच करवाएगी। इस डीएनए रिकार्ड को सुरक्षित रखा जाएगा, जिसके आधार पर मृतकों की शिनाख्त हो सकेगी। उत्तराखंड के ऋषिगंगा में आए बर्फीले तूफान के बाद मंगलवार शाम तक यहां 32 शव मलबे से निकाले जा चुके हैं। इनमें से अभी तक 25 शवों की शिनाख्त हो सकी है। 7 शव अभी भी अज्ञात हैं। उत्तराखंड प्रशासन के मुताबिक तूफान में लापता हुए 174 अन्य व्यक्तियों की तलाश अभी जारी है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने बताया कि रैणी से लेकर नदी तटों के सभी स्थलों पर भी व्यापक खोजबीन की जा रही है, ताकि लापता लोगों का पता लग सके। उन्होंने कहा कि इस आपदा में हमें केदारनाथ के अनुभवों का भी लाभ मिल रहा है, यदि लोगों की पहचान हो सके तो ठीक है नहीं तो उनके डीएनए की जांच कर रिकार्ड सुरक्षित रखने के प्रयास किये जा रहे हैं।
उत्तराखंड सरकार ने आधिकारिक जानकारी देते हुए बताया तूफान के दौरान जिस टनल में मलबा भरने से यह हादसा हुआ, उस टनल में 100 मीटर तक मलबा साफ किया जा चुका है। राहत और बचाव कार्य के दौरान एनटीपीसी के 12 कर्मचारी सुरक्षित बचा लिए गए हैं। छह अन्य घायलों को भी जिंदा बचाने में कामयाबी मिली है। कुल 206 लोग इस हादसे में लापता हुए थे हैं, जिनमें 2 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
लापता हुए व्यक्ति यहां काम कर रही दस अलग-अलग कंपनियों के कर्मचारी हैं। वहीं राज्य सरकार के मुताबिक उत्तराखंड के ऋषिगंगा में बाढ़ से निचले इलाकों में अब कोई जोखिम नहीं है। जल स्तर भी घट रहा है। सरकारी एजेंसियां स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।
इस बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मंगलवार को आपदा प्रभावित लाता गांव पहुंचे। उन्होंने एनडीआरएफ और आईटीबीपी समेत अन्य एजेंसियों द्वारा तपोवन के टनल में संयुक्त अभियान की जानकारी ली। ऋषिगंगा प्रॉजेक्ट में एक टनल से 15 लोगों को बचाया गया है, दूसरे टनल में 25-35 लोगों के फंसे होने का अनुमान है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मंगलवार को सचिवालय में उत्तर प्रदेश के मंत्री सुरेश राणा, डॉ धर्म सिंह सैनी एवं विजय कश्यप ने भी भेंट की। उन्होंने जोशीमठ क्षेत्र के रैणी क्षेत्र में आयी आपदा से सम्बन्धित बचाव एवं राहत कार्यो के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री से चर्चा की।
उत्तर प्रदेश द्वारा आपदा पीड़ितों की सहायता के लिये हरिद्वार में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। वहां पर एडीएम स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तराखण्ड सरकार को इस आपदा के संकट पर सहयोग देने की बात कही है। उत्तर प्रदेश के काफी संख्या में लोग इस क्षेत्र की विद्युत परियोजनाओं में कार्यरत रहे हैं।
यूपी में मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी जिलाधिकारियों को अपने जनपद से इस परियोजना में कार्यरत लोगों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। शीघ्र ही उत्तर प्रदेश के लापता लोगों की सूची एवं फोटो राज्य सरकार को प्रेषित कर दी जायेगी।