2024 की पक्षी गणना रिपोर्ट में ओडिशा की चिल्का झील में 180 से अधिक प्रजातियों के 11 लाख से अधिक प्रवासी पक्षियों की गिनती की गई। यह पिछले वर्ष की तुलना में करीब 6 हजार से अधिक है। वहीं, एक दशक के बाद दुर्लभ पलास मछली ईगल भी इनमें शामिल हैं।
ओडिशा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) सुशांत नंदा के अनुसार जनवरी के पहले सप्ताह में एशिया के सबसे बड़े खारे पानी के लैगून पर वार्षिक पक्षी गणना आयोजित की गई। गणना के दौरान 184 प्रजातियों के 11,37,759 प्रवासी पक्षी देखे गए। जबकि 2023 में 184 प्रजातियों के 11,31,929 पक्षी देखे गए थे। मुंबई में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के पक्षी विज्ञानी, वन्यजीव संगठनों के अधिकारियों और 21 टीमों के वन्यजीव कार्यकर्ताओं सहित लगभग 120 लोगों ने झील में पक्षी गणना में भाग लिया।
मेहमान पक्षियों की पहली पसंद नलबाना अभयारण्य
झील के अंदर नलबाना द्वीप या नलबाना पक्षी अभयारण्य पंख वाले मेहमानों के लिए सबसे लोकप्रिय गंतव्य बना हुआ है। नलबाना में इस वर्ष 3,47,280 पक्षी देखे गए। 2023 में यह संख्या 3,42,797 थी।
सर्दियों में मध्य एशिया और यूरोप से आते हैं पक्षी
सर्दियों में मध्य एशिया और यूरोप तक से पक्षी यहां आते हैं। इसका कारण यह है कि चिल्का में उन्हें साइबेरिया, चीन, जापान और उत्तरी गोलार्ध के मुकाबले ज्यादा आरामदेह वैकल्पिक आवास मिलते हैं। बत्तखों की पिंटेल प्रजातियों में उत्तरी पिंटेल 2,18,650, गडवाल 1,56,636 और यूरेशियन विजियन 1,40,322 देखी गईं। इसी मौसम में पर्यटक और पक्षी प्रेमी भी जलाशय में पक्षियों की अठखेलियां भारी तादाद में आते हैं।
वेटलैंड पर आगंतुकों के लिए प्रचुर मात्रा में भोजन उपलब्ध
वेटलैंड पंख वाले आगंतुकों को मछली, झींगा, मेंढक, सांप और मोलस्क से भरा प्रचुर भोजन क्षेत्र भी प्रदान करता है। यह झील 132 गांवों में रह रहे 1,50,000 मछुआरों को आजीविका का साधन उपलब्ध कराती है। इस खाड़ी में कैस्पियन सागर, बैकाल झील, अरल सागर और रूस, मंगोलिया, लद्दाख, मध्य एशिया आदि विभिन्न दूरदराज के क्षेत्रों से पंछी उड़कर आते हैं। ये पंछी यहां आने के लिए विशाल दूरियां तय करते हैं। प्रवासी पंछी तो लगभग 12 हजार किमी से भी ज्यादा की दूरी तय करके चिल्का झील पंहुचते हैं।