जम्मू: हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग जम्मू केन्द्रीय विश्वविद्यालय और तमिल कल्चरल रिसर्च सेंटर, पालक्काडु, केरल के संयुक्त तत्वावधान में ‘वानविल के. रवि का रचना संसार एवं भारतीय भाषाएँ‘ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ कुलपति, जम्मू केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रो. संजीव जैन के मार्गदर्शन में किया गया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित प्रसिद्ध कवि, साहित्यकार एवं वरिष्ठ अधिवक्ता वानविल के. रवि ने कहा कि काव्य हृदय की वस्तु है जिसका प्रस्फुटन अनाविल रूप से हो जाता है। यह ईश्वर प्रदत्त नैसर्गिक प्रतिभा की उपज है। जैसे फूल सुगंधों से भर जाने के उपरांत अपनी सुगंध को हवा को समर्पित कर देता है, ठीक उसी प्रकार कवि जब भावों से विभोर हो जाता है तब उसके हृदय तल से कविता की धारा फूट पडती है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे बहु भाषा-भाषी देश में काव्य यानी साहित्य ने सभी को एकता के सूत्र में जोड रखा है। इस कविता ने मुझे आज सुदूर तामिलनाडू से जम्मू तक खींच लाया है। उन्होंने कहा कि कविता की रचना के दौरान कवि पूर्ण रूप से निर्वैयक्तिक हो जाता है। मेरी सभी रचनाएं उन्हीं क्षणों की उपज हैं।
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विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. यशवंत सिंह ने अपने संबोधन में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग को इस प्रकार की संगोष्ठी के माध्यम से उत्तर से दक्षिण को जोडने की पहल के लिए बधाई देते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से तमिल कल्चरल रिसर्च सेंटर, पालक्काडु, के प्रति आभार जताया। संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना तथा तमिल गीत प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात विभागाध्यक्ष तथा संगोष्ठी के निर्देशक प्रो. भारत भूषण ने सभी का आधिकारिक स्वागत किया। इस दौरान विश्वविद्यालय की ओर से स्मृति-चिह्न प्रदान कर कवि वानविल के रवि तथा तमिल कल्चरल सेण्टर के समन्वयक पी.एस. राजा, संगोष्ठी प्रस्तावक डॉ. अमित कुशवाह और अन्य का विशेष सम्मान किया गया।