उत्तराखंड में अन्य राज्यों से बिना पास आवाजाही की सशर्त अनुमति, नए दिशा-निर्देश जारी

– राज्य में शाम 7 से सुबह 7 बजे तक आवश्यक सेवाओं के अलावा अन्य सभी गतिविधियां प्रतिबंधित
– बाहर से आने वालों के लिए अब वेब-पोर्टल पर सिर्फ पंजीकरण की अनिवार्यता

देहरादून । उत्तराखंड में अब मंगलवार से दूसरे राज्यों से आवागमन शुरू हो जाएगा। शासन ने इसके लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके मुताबिक अब दूसरे राज्यों से उत्तराखंड आने वालों को पास की जरूरत नहीं होगी। उन्हें राज्य सरकार के वेब पोर्टल पर सिर्फ अपना पंजीकरण कराने की अनिवार्यता होगी। साथ ही अपने मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करना होगा। इस नई व्यवस्था में वीवीआईपी को छूट दी गई है और सेना को अपनी व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। 


राज्य के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सोमवार देर रात इस बारे में नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राज्य के भीतर एक जिले से दूसरे जिले में आवाजाही के लिए पहले की भांति ही किसी ई- पास की जरूरत नहीं होगी लेकिन राज्य के वेब पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। राज्य में आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी तरह की गतिविधियां शाम 7 से सुबह 7 बजे तक प्रतिबंधित रहेंगी। शासन ने मुंबई और दिल्ली समेत कोरोना के संक्रमण (हाई लोड) वाले ऐसे 31जिलों की सूची जारी की है, जो संक्रमण के नजरिये ज्यादा संवेदनशील हैं। इन स्थानों से उत्तराखंड आने वाले लोगों को संस्थागत एकांतवास में 7 दिन और गृह एकांतवास में 14 रहना होगा। इसके बावजूद सरकारी कामकाज के लिए आवाजाही करने वाले न्यायिक सेवा के अधिकारियों, केंद्र और राज्य सरकार, पब्लिक सेक्टर यूनिट तथा केंद्र सरकार और राज्य सरकार के संस्थानों के अफसरों को एकांतवास से रियायत दी गई है। 


अन्य राज्यों से आने वालों को https://dsclservices.in/uttarakhand-migrant-registration-php पर पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। संवेदनशील क्षेत्रों से आने वालों में से केवल गर्भवती महिलाओं, 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गो, गंभीर बीमार, परिवार में मृत्यु होने की स्थिति में और 10 साल से छोटे बच्चों के अभिभावकों को ही संस्थागत क्वारंटाइन से छूट मिलेगी। संवेदनशील जिलों में किसी कामकाज से जाने वालों को वापसी पर 14 दिनों के लिए गृह एकांतवास में रहना होगा। राज्य और जिला नोडल अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग से परामर्श कर बिना लक्षण वाले लोगों को 14 दिन के गृह एकांतवास की अनुमति दे सकेंगे। दूसरे राज्यों से आने वाले ऐसे लोग, जो औद्योगिक प्रबंधन, वाणिज्यिक कार्यों अथवा तकनीकी विशेषज्ञ के तौर पर आएंगे, उन्हें संबंधित संस्थाओं द्वारा आवंटित एकांतवास केंद्रों में रहना होगा। यहीं से ये लोग संबंधित उन संस्थाओं तक आएंगे। कामकाज खत्म होने पर ये वापस चले जाएंगे। इन पर 14 दिनों का एकांतवास का नियम लागू नहीं होगा।


बिना लक्षण वाले रोगी जो 31 शहरों में गए हैं, वे वापसी पर 14 दिन के लिए होम क्वारंटीन होंगे। यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि यात्रा के दौरान हाई लोड शहर में प्लेन बदलने वालों को भी 14 दिन के होम क्वारंटीन मे रहना होगा। इन 31 शहरों की सूची में 31 शहरों की सूची में मुंबई के सभी जिले, चेन्नई, अहमदाबाद, थाणे, पुणे, इंदौर, कोलकाता, जयपुर, हैदराबाद, सूरत, औरंगाबाद, जोधपुर, भोपाल, चेंगापट्टू(तमिलनाडु), गुरुग्राम, नासिक, रायगढ़, हावड़ा, आगरा, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, कानपुर नगर, बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली व पीलीभीत हैं।


सेना व केंद्रीय सुरक्षा बलों से जुड़े अधिकारियों व जवानों के लिए संस्थागत क्वारंटीन का इंतजाम सेना व अर्द्धसैनिक बल अपने स्तर पर करेंगे। अत्यधिक संक्रमित 31 शहरों से आने वाले सैन्य व अर्द्धसैनिक बलों से जुड़े अधिकारियों व जवानों के पारिवारिक सदस्यों के लिए उत्तराखंड आने पर सात दिन का संस्थागत क्वारंटीन अनिवार्य होगा। इसके बाद उन्हें 14 दिन होम क्वारंटीन में रहना होगा। क्वारंटीन व्यवस्था की सूचना उन्हें राज्य सरकार और जिला प्रशासन को देनी होगी।
कोरोना संक्रमण के आधार पर जिलाधिकारियों द्वारा जोखिम क्षेत्र (कंटेनमेंट जोन) तय किए जाएंगे। इन क्षेत्रों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के पूर्व के आदेश का पालन किया जाएगा और जिलाधिकारी चाहेंगे तो नए प्रतिबंध भी लगा सकेंगे। इसी के साथ रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन की व्यवस्था समाप्त कर दी गई। जिलाधिकारी जोखिम क्षेत्र के बफर जोन भी तय करेंगे।