अयोध्या: धर्मनगरी में 24.60 लाख दीये जलाकर बनेगा विश्व रिकॉर्ड

दीपोत्सव के लिए अयोध्या रोशनी से नहा उठी है। ऐसी सजावट हुई है कि मानो देवलोक पृथ्वी पर उतर आया हो। चमचमाती सड़कें, एक रंग में रंगे भवन और आकर्षक लाइटिंग के साथ रामकथा आधारित 15 तोरणद्वार और कई स्वागत द्वार अयोध्या की शोभा बढ़ा रहे हैं। 

शनिवार को दीपोत्सव में 21 लाख दीप केवल राम की पैड़ी पर जलाने की तैयारी है जोकि एक विश्व रिकॉर्ड भी साबित होगा। इस रिकॉर्ड को हासिल करने के लिए 3 लाख 60 हजार दिये अतिरिक्त भी जलाएं जाएंगे ताकि दीपमाला अनवरत रहे।

शनिवार को शाम होते ही जैसे ही रामलला के दरबार में पहला दीप जलेगा, पूरी अयोध्या जगमग हो उठेगी। भगवान श्रीराम पुष्पक विमान रूपी हेलीकॉप्टर से अयोध्या पधारेंगे। सीएम योगी व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल उनकी अगवानी करेंगे। इसके बाद सीएम योगी वशिष्ठ की भूमिका में श्रीराम का राजतिलक करेंगे। इस आयोजन का साक्षी बनने के लिए रामकथा पार्क में करीब पांच हजार अतिथि मौजूद रहेंगे। इस बार सरयू पुल पर ग्रीन पटाखों की आतिशबाजी 20 मिनट तक होगी। इस पर करीब 80 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

रामनगरी आज फिर रचेगी इतिहास
हनुमान जयंती के मौके पर रामनगरी शनिवार को फिर से इतिहास रचने की दहलीज पर खड़ी है। राम की पैड़ी के 51 घाटों पर दीपमालिकाएं सज गई हैं। 24.60 लाख दीये बिछाए जा चुके हैं।

शुक्रवार की देर शाम तक दीयों की गणना गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉड की टीम करने में जुटी रही। शनिवार सुबह से दीपों में तेल व बाती डालने की प्रक्रिया शुरू होगी। शाम को सभी घाटों पर दीप जलाए जाएंगे। अवध विश्वविद्यालय के युवा फिर इतिहास रचेंगे। इसको लेकर वालंटियर्स में गजब का उत्साह दिख रहा है।

दीये में तेल भरने के लिए एक-एक लीटर सरसों की बोतल दी जाएगी। हर एक दीये में 30 एमएल तेल डाला जाएगा। दीये का ऊपरी हिस्सा कुछ खाली रखा जाएगा, ताकि तेल घाट पर न गिरे। एक लीटर तेल की बोतल खाली होने के बाद पुनः उसी गत्ते में वापस सुरक्षित रखी जाएगी। दीये में तेल डालने के बाद बाती के आगे वाले भाग पर कपूर का पाउडर लगाएंगे, जिससे वालंटियर्स को दीये प्रज्ज्वलित करने में आसानी होगी।

प्रत्येक घाट पर दीयों को प्रज्ज्वलित करने के लिए कैंडल, माचिस, डंडे लगे कैंडल व अन्य सामग्री निर्धारित दीयों की संख्या के अनुपात में एक ही बार में समन्वयकों को उपलब्ध करा दी जाएगी। दीयों को प्रज्वलित करने वाले स्वयंसेवक, समन्वयक सूती कपड़ों में ही घाटों पर उपस्थित रहेंगे। प्रज्वलित करते समय अपना व दूसरों का भी ध्यान रखेंगे।