हरिद्वार: संवत् 2081 के श्रावण मास के कावड़ मेले में हरिद्वार आने वाले शिवभक्त कांवड़ियों की रिकॉर्ड संख्या रही। जिला प्रशासन ने 4 करोड़ 14 लाख 40 हजार कावड़ियों के हरिद्वार से जल भरने का दावा किया है। 22 जुलाई से प्रारंभ होकर 2 अगस्त तक चला श्रावण मास का कांवड़ मेला संपन्न होने के बाद पुलिस अधीक्षक कार्यालय ने विविध आंकड़े जारी किए। जिसके अनुसार कांवड़ मेला के 12 दिनों में देश के अनेक प्रांतो से 4 करोड़ 14 लाख 40 हजार कांवड़िए हरिद्वार पहुंचे और यहां से गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए।
मेला के दौरान कांवड़ियों के गंगा में डूबने की 221 घटनाएं हुई जिनमें से एसडीआरएफ, जल पुलिस, पीएसी व बीईजी(सेना) के तैराक जवानों व गोताखोरों ने 214 लोगों को सकुशल रेस्क्यू कर जीवन दान दिया। पांच कांवड़ियों की डूबने से मौत हो गई और दो अभी तक लापता हैं। इस अवधि में सड़क व अन्य दुर्घटनाओं में 10 कांवड़ियों की मृत्यु हो गई।
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विगत 2015 में संपन्न हुए श्रावण मास के कांवड़ मेले के बाद के वर्षों के आंकड़ों की तुलना करें तो 2019 को छोड़कर श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। 2024 में यह संख्या रिकॉर्ड रही है। 2015 में 1 करोड़ 95 लाख शिव भक्त कांवड़ मेले में हरिद्वार आए थे। 2016 में यह संख्या बढ़कर 2 करोड़ 20 लाख, 2017 में 3 करोड़ 70 लाख और 2018 में 3 करोड़ 77 लाख पर पहुंच गई। 2019 में अवश्य इसमें थोड़ी कमी आई और यह संख्या 3 करोड़ 30 लाख रही। 2020 और 2021 में कोरोना के चलते कांवड़ मेला प्रतिबंधित रहा। इसके पश्चात 2022 में यह पुनः बढ़कर 3 करोड़ 79 लाख हई और 2023 में यह संख्या बढ़कर 4 करोड़ 7 लाख के पार कर गई। इसे देखते हुए कांवड़ मेले की व्यवस्था देख रहे अधिकारियों का अनुमान था कि यह संख्या 5 करोड़ के पार चली जाएगी। हांलाकि सावन की शिवरात्रि और उसका मेला आज समाप्त हो गया है लेकिन हरिद्वार से पूरे सावन भर जल लेकर जाने का सिलसिला चलता रहता है।