देहरादून: भाई-बहन के ऊपर गिरी डीएवी कॉलेज की दीवार, बहन की मौत और भाई गंभीर रूप से घायल

सुषमिता तोमर पुरोला डिग्री कॉलेज में कनिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत थीं। हाल ही में उसकी नौकरी लगी थी। उसका भाई रघुवीर तोमर देहरादून में डीएवी में पढ़ता है। रात करीब साढ़े आठ बजे के करीब भाई-बहन करनपुर घूमने आए थे। तभी हादसे का शिकार हो गए।

करनपुर स्थित डीएवी कॉलेज की पीछे की दीवार बृहस्पतिवार की रात अचानक भरभरा कर गिर गई। काॅलेज के आसपास घूम रहे भाई-बहन इसकी चपेट में आ गए। हादसे में बहन की मौत हो गई, जबकि भाई गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस के मुताबिक सुषमिता तोमर पुरोला डिग्री कॉलेज में कनिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत थीं। हाल ही में उसकी नौकरी लगी थी। उसका भाई रघुवीर तोमर देहरादून में डीएवी में पढ़ता है। करनपुर क्षेत्र में ही कमरा लेकर रह रहा है। सुषमिता अपने भाई के यहां आई हुई थी। रात करीब साढ़े आठ बजे के करीब भाई-बहन करनपुर घूमने आए थे।

पैदल अपने कमरे की तरफ जा रहे थे तभी डीएवी कॉलेज की बैक वाली दीवार भरभरा कर गिर गई। दोनों इसकी चपेट में आ गए। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टर ने सषमिता को मृत घोषित कर दिया।

रघुवीर तोमर का इलाज चल रहा है। वह भी गंभीर रूप से घायल है। इंस्पेक्टर कोतवाली डालनवाला राजेश शाह ने बताया कि दीवार काफी पुरानी थी। मृतका के परिजनों को सूचित कर दिया है। शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी में रख दिया गया है।I

लड़की की मौत पर छात्रों का प्रदर्शन, प्राचार्य से की इस्तीफे की मांग
दीवार गिरने से हुई लड़की की मौत पर एनआईसीयू, आर्यन व एबीवीपी छात्रसंगठन से जुड़े छात्रों ने देर रात डीएवी कॉलेज में जोरदार प्रदर्शन किया। छात्रों ने प्राचार्य कार्लायल और मुख्य गेट के आगे नारेबाजी करते हुए प्राचार्य से इस्तीफे की मांग की।

छात्रों ने कहा, करीब डेढ़ महीने पहले ही कॉलेज प्रशासन को दीवार की हालत के बारे में बताया गया था। दीवार हादसे का कारण न बने इसके लिए छात्र समय रहते उसकी मरम्मत कराने की मांग कर रहे थे। लेकिन कॉलेज प्रशासन ने छात्रों की मांगों को अनदेखा करने का काम किया।

यही वजह है कि कॉलेज प्रशासन की घोर लापरवाही की वजह से लड़की की मौत हो गई। छात्रों ने चेतावनी देते हुए कहा, इस संबंध में संबंधित शिक्षकों व अधिकरियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई नहीं की गई या प्राचार्य की ओर से इस्तीफा नहीं दिया गया तो वह उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।