छत्तीसगढ़ चुनाव 2023: भटगांव विधानसभा का पुराना इतिहास, जानिये कैसे

छत्तीसगढ़ के भटगांव विधानसभा सीट का अपना ही एक पुराना इतिहास है। इस सीट पर सबसे पहले साल 2008 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस ने अपना अपना दम दिखाया। अभी इस सीट पर कांग्रेस की ओर से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा गया है। 

छत्तीसगढ़ के सरगुजा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र स्थित सूरजपुर जिला काले हीरे के भंडार के लिए महशूर है। इस जिले का भटगांव विधानसभा का चुनावी इतिहास काफी लंबा तो नहीं है, लेकिन सरगुजा संभाग के 14 विधानसभा की अपनी एक अलग पहचान है। इस सीट पर अब तक चार बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। 

जिसमें तत्कालीन विधायक स्वर्गीय रविशंकर त्रिपाठी की सड़क हादसे में हुई। मृत्यु के उपरांत एक बार का उपचुनाव भी शामिल है। यहां हुए चार बार के चुनाव में दो बार बीजेपी को, तो वहीं दो बार कांग्रेस को जीत मिली है। मध्यप्रदेश की सरहद इलाके को छूने वाले इस विधानसभा में पिछले दो चुनाव में क्षेत्र की जनता ने लगातार दो बार बाहरी प्रत्याशी को हार का स्वाद चखाया है। वहीं स्थानीय उम्मीदवार पर मतदाताओं ने भरोसा जताते हुए विधानसभा तक पहुंचाया है। ऐसे में इस विधानसभा का चुनावी इतिहास बहुत ही ख़ास अपने आप में बयां करता है।

विदित है कि विभाजित सरगुजा जिले के समय वर्ष 2008 में परिसीमन के पश्चात पिलखा और पाल विधानसभा से टूटकर भटगांव, प्रतापपुर और रामानुजगंज विधानसभा बना था। जो वर्ष 2012 में नवीन जिला सूरजपुर बनने के पश्चात भटगांव विधानसभा सूरजपुर का हिस्सा बना। अविभाजित सरगुजा जिला के समय वर्ष 2008 में पहली बार भटगांव विधानसभा सीट के लिए चुनाव हुआ। जिसमें जिले की इस सामान्य सीट पर हुए पहले चुनाव में जमकर घमासान देखने को मिला। 

साल 2008 के चुनाव में भाजपा की जीत
कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के दर्जन भर दावेदारो के द्वारा निर्दलीय पर्चा दाखिल कर चुनावी मैदान में उतरकर जीतने हेतु एड़ी-चोटी लगा दी गई थी। उस समय इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा समेत कुल 29 उम्मीदवार मैदान में थे। लेकिन बीजेपी को छोड़कर सभी 28 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। इसमें मुख्य रूप से प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार श्यामलाल जायसवाल भी शामिल थे। वर्ष 2008 के चुनावी नतीजों पर अगर नजर डालें तो इस चुनाव में भाजपा के रविशंकर त्रिपाठी 17 हजार 433 वोट से विजयी हुए थे। इस जीत के साथ रविशंकर त्रिपाठी पहली बार विधायक चुने गए। इस सीट पर पहले चुनाव में भाजपा ने यहां से खाता खोला था।

सड़क हादसे में विधायक आकस्मिक निधन पर हुए उपचुनाव
करीब पौने दो साल कार्यकाल पूरा करने के बाद भटगांव विधानसभा से विधायक रविशंकर त्रिपाठी की अप्रैल 2010 में रायगढ़ जिले के घरघोडा के पास सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद इस विधानसभा सीट के लिए पुनः उपचुनाव की घोषणा हुई। अक्टूबर 2010 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने दिवंगत विधायक रविशंकर त्रिपाठी की धर्मपत्नी रजनी रविशंकर त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार घोषित किया। 

टी एस सिंहदेव के चाचा हार गए थे चुनाव
तो वही दूसरी तरफ कांग्रेस ने मौजूदा उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव के चाचा यू एस सिंहदेव को अपना प्रत्याशी बनाया था। लेकिन एक ही पंचवर्षीय में हुए दूसरे चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी बुरी तरह पराजित हुई। सहानुभूति की आंधी में रजनी रविशंकर त्रिपाठी ने कांग्रेस के यूएस सिंहदेव को करीब 35 हजार वोटों से हरा दिया। अपने दिवंगत पति की सीट पर भटगांव की दूसरी विधायक रजनी रविशंकर त्रिपाठी विधानसभा तक पहुंची थी।

2013 में स्थानीय उम्मीदवार पर जताया भरोसा
इस सीट पर तीसरा चुनाव वर्ष 2013 में सम्पन्न हुआ। इस दौरान कांग्रेस ने राजनैतिक समीकरण के साथ स्थानीय उम्मीदवार पारसनाथ राजवाड़े पर दांव खेला। वहीं भाजपा ने सिटिंग विधायक रजनी रविशंकर त्रिपाठी को फिर से अपना उम्मीदवार घोषित किया। किंतु इस बार भाजपा का दांव कुछ उल्टा हो गया। क्षेत्र की जनता ने स्थानीय उम्मीदवार के प्रति अपना झुकाव दिखाया। लिहाजा वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस के पारसनाथ राजवाड़े पर मतदाताओं ने अपना भरोसा जताया। 

2013 के इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार पारसनाथ राजवाड़े ने अपने प्रतिद्वंदी भाजपा की उम्मीदवार रजनी रविशंकर त्रिपाठी को 7368 वोट से पराजित कर यह सीट अपने नाम की। इस सीट पर कांग्रेस पहली बार अपना खाता खोलने में सफल रही। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी 8163 वोट के साथ तीसरे स्थान और बसपा के प्रत्याशी नरेंद्र कुमार साहू को 5496 वोट के साथ चौथे स्थान पर रहे है|

2018 के चुनाव में कांग्रेस ने मारी बाजी
बीते तीन चुनाव में दो बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की जीत के बाद 2018 के चुनाव में पुनः कांग्रेस ने भाजपा को पराजित कर यह सीट अपने नाम करने में सफल रही। दूसरी जीत दर्ज कर कांग्रेस ने भाजपा से बराबरी की। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने मौजूदा विधायक पारसनाथ राजवाड़े पर फिर दांव खेला था। 

बाहरी और स्थानीय उम्मीदवार उतरे थे चुनावी मैदान में
वहीं भाजपा ने एक बार फिर रजनी रविशंकर त्रिपाठी पर भरोसा किया। इस बार भी बाहरी और स्थानीय उम्मीदवार की आंधी में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। साथ ही इस बार कांग्रेस के वोट शेयर में इजाफा हुआ। इस चुनाव में भाजपा की निकटतम प्रतिद्वंद्वी रजनी रविशंकर त्रिपाठी को पारसनाथ राजवाड़े ने 15 हजार 734 वोट से पराजित किया। वहीं वोट की बात करें तो कांग्रेस के पारसनाथ राजवाड़े को कुल 74 हजार 623 वोट मिले। तो वहीं भाजपा की रजनी रविशंकर त्रिपाठी को कुल 58 हजार 889 वोट मिले। जबकि 2108 के इस विधानसभा चुनाव में सामान्य सीट भटगांव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा-कांग्रेस के अलावा 21 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे।

भाजपा ने स्थानीय उम्मीदवार पर खेल बड़ा दांव
बीते दो विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिल रही करारी हार के पश्चात भाजपा ने रणनीति बदलकर स्थानीय एवं जातिगत समीकरण का कार्ड खेल कांग्रेस की गढ़ से भाजपा महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष एवं जिला पंचायत सदस्य लक्ष्मी राजवाड़े को अपना उम्मीदवार घोषित कर अपने विरोधियों को चारों खानेचित्त करने का रणनीति अपनाई है। 

भाजपा यह मान रही है कि इस विधानसभा में राजवाड़े समाज के मतदाता की संख्या अच्छी-खासी है और मौजूदा विधायक भी राजवाड़े समाज से ही आते हैं। ऐसे में लक्ष्मी राजवाड़े को भाजपा से उम्मीदवार बनाए जाने से यह सीट भाजपा के खाते में आ सकती है। लक्ष्मी राजवाड़े एक महिला होने के साथ-साथ यंग होने के कारण एक युवा चेहरा भी हैं। जो युवाओं के बीच आइकॉन बनकर उभरा रही है साथ ही जिला पंचायत सदस्य होने के नाते युवाओं में भी इनकी अच्छी पकड़ भी बताई जा रही है। जिसका फायदा चुनाव में देखने को मिल सकता हैं।

इस सीट पर कांग्रेस ने नहीं उतरा है अब तक उम्मीदवार
छत्तीसगढ़ में चुनाव की तिथि घोषित होने के उपरांत भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मी राजवाड़े लगातार क्षेत्र में जनसंपर्क कर रही हैं। तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा नहीं होने के कारण कांग्रेस के दावेदारों के समक्ष असमंजस्य की स्थिति निर्मित है|